दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस-सार्क)

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस-सार्क), दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय अंतरसरकारी संगठन और भूराजनैतिक संघ है. इसके सदस्य देशों में अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. सार्क की स्थापना 8 दिसम्बर, 1985 को इसके सात मूल सदस्य देशों - बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका द्वारा आपसी प्रगति और विकास को बढ़ावा देने हेतु, संगठित करने और सरकारों को एकजुट करने के लिए किया गया था. इस संगठन का मुख्य उददेश्य सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर आपसी प्रगति के लिए, सार्क देशों के बीच राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
वर्तमान में इसमें 8 सदस्य देश शामिल हैं (अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका) और इनके राज्यप्रमुख वर्ष में एक बार मिलते हैं. इनका शिखर सम्मलेन सामान्यतः प्रत्येक 18वें महीने पर होता है.


भारत
सरकार ने इसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही का मान बनाते हुए पाकिस्तान को सभी
मंचों पर अलग-थलग करने का निर्णय लिया है. दक्षेस का बहिष्कार और बिम्सटेक
को बढ़ावा देना, भारत द्वारा पाकिस्तान के बिना अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग
बढ़ाने का एक कदम है. वास्तव में यह भारत का एक नया अजेंडा है. बिम्सटेक "बंगाल की खाड़ी में बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए एक पहल" है {Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC)} जिसमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं.
भारत,
रूस और चीन भी ब्रिक्स मंच के अतिरिक्त आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और नए
संबंधों को विकसित करने के लिए एक नया मंच बनाने की दिशा में देख रहे हैं.
सर्जिकल
स्ट्राइक के रूप में भारतीय सेना द्वारा उठाया गया कदम यह सिद्ध करता है
कि भारत कुछ भी करने में सक्षम है लेकिन वह सीमाओं और अंतर्राष्ट्रीय
नियमों के कानूनी निर्बंधनों का सम्मान करता है. भारत ने सदैव अपने
पड़ोसियों के विकास में योगदान दिया है. अफ़ग़ानिस्तान की सहायता, बांग्लादेश
के साथ सीमा समझौता, भूकंप और उसके बाद नेपाल की सहायता और भूटान एवं श्रीलंका की आर्थिक सहायता आदि भारत के इस रुख का कुछ प्रमुख उदाहरण हैं.
पाकिस्तान
को यह समझने की जरुरत है कि आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है और उसे आतंकवाद
के खिलाफ लड़ाई के क्रम में अन्य राष्ट्रों की सहायता करनी होगी. भारत आतंक
से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है और अब वह बड़े अंतर्राष्ट्रीय
समर्थन के साथ इसके खिलाफ खड़ा हो रहा है और पाकिस्तान को भी इस क्रम में
भारत की सहायता करनी ही होगी, इसके अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प नहीं है.
शुभकामनाएं
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