Thursday 22 October 2015

डीमैट अकाउंट क्या है

डीमैट अकाउंट  क्या है 

डीमैट वो अकाउंट है जिसके द्वारा या शेयर बाजार में खरीदफरोख्त की जाती हैं, इसे खुलवाने के लिए पैन कार्ड होना जरुरी होता है, इसे आपके बैंक खाते से जोड़ दिया जाता है|

कुछ साल पहले तक अगर आप किसी कंपनी का शेयर ख़रीदते थे तो वह आप को उस के कागज़ भेजती थी जो इस बात का सबूत होते थे कि आपने उस कंपनी के शेयर ख़रीदे हैं और जब आप उस कपंनी के शेयर बेच देते थे तो वह कागज़ आप कंपनी के दफ्तर भेज देते थे फिर कंपनी यह देखती थी कि जब आप ने शेयर बेचे तो शेयर का क्या भाव था फिर आप को वह पैसे देती थी-जिस में बहुत वक़्त लगता है|

अब सब कंप्यूटर की मदद से होता है, आपने जैसे ही शेयर खरीदा वह आपके अकाउंट में कुछ देर में ही आजायेगा और जैसे ही आप ने शेयर बेचा आपका पैसा आपके बैंक अकाउंट में भेज दिया जाएगा|

कितना खर्च आएगा?

अकाउंट खुलवाने का खर्च 300-700 रुपए के बीच होता है।

क्या एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?

आप एक साथ कई डीमैट अकाउंट रख सकते हैं। लेकिन एक कंपनी में आप अधिकतम तीन अकाउंट खुलवा सकते हैं।

कौन खोलता है डीमैट अकाउंट?

भारत में इन दो संस्थाओं पर डीमैट अकाउंट खोलने की जिम्मेदारी है ?

नेशनल सेक्योरिटीज डिपोज्रिटी लिमिटेड (एनएसडीएल) एवं सेंट्रल डिपोज्रिटी सर्विसेज लिमिलटेड (सीएसडीएल)।

इन डिपोज्रिटीज के करीब 500 से ज्यादा एजेंट हैं जिन्हें डिपोज्रिटी पार्टिसिपेंट्स (डीपी) कहा जाता है। यह जरूरी नहीं है कि डीपी कोई बैंक ही हो। दूसरी वित्तीय संस्थाएं (जैसे शेयर खान, रिलायंस मनी, इंडिया इनफोलाईन आदि) के पास भी डी-मैट अकाउंट खोला जा सकता है।

यह जानना जरूरी है कि जो व्यक्ति खुद शेयर खरीदते-बेचते नहीं हैं उनके ब्रोकर प्रतिनिधि के रूप में खाते का इस्तेमाल कर सकते हैं इन ब्रोकर्स को आप के शेयर ख़रीदने या बेचने पर कुछ फीस मिलती है - कई बार कुछ ब्रोकर इस मुनाफे के लिए आप से बिना पूछे आपका शेयर बेच देते है इसलिए आप अपना ब्रोकर चुनते वक्त सावधानी रखे और अगर आप और आप के ब्रोकर में किसी बात पर लड़ाई है तो आप इस की शिकायत सेबी में कर सकते हैं|

डी-मैट खाता खुलवाने वाले व्यक्ति से डीपी कई तरह के फीस वसूलता है। यह फीस कंपनी दर कंपनी अलग हो सकती है।

अकाउंट ओपनिंग फीस खात खुलवाने के लिए वसूला जाने वाला फीस। कुछ कंपनियां (जैसे आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, यूटीआई आदि) यह फीस नहीं लेती है। जबकि कुछ (एसबीआई और कार्वी कंसलटेंट्स आदि) इसे वसूलती हैं। वैसे कुछ कंपनियां इसे रिफंडेबल (खाता बंद कराने पर लौटा देती हैं) भी रखती हैं।

एनुअल मेंटेनेंस फीस सालाना फीस जिसे फोलियो मेंटेनेंस चार्ज भी कहते हैं। आमतौर पर कंपनी यह फीस साल के शुरुआत में ही ले लेती है।

कसटोडियन फीस कंपनी इसे हर महीने ले सकती है या फिर एक बारी में ही। यह फीस आपके शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है।

ट्रांजेक्शन फीस डीपी चाहे तो इसे हर ट्रांजेक्शन पर चार्ज कर सकता है या फिर चाहे तो ट्रेडिंग की राशि पर (न्यूनतम फीस तय कर)।

इनके अलावा कंपनी

री-मैट,

डी-मैट,

प्लेज चार्जेज,

फील्ड इंस्ट्रक्शन चार्जेज आदि भी वसूल सकती हैं

मन में एक और प्रश्न उठता है कि क्या आप एक डीमैट अकाउंट बंद कर किसी और ब्रोकर के पास नया डीमैट अकाउंट अकाउंट खुलवा सकते है?

इसका उत्तर हां| यह किया जा सकता है अगर आप को लगता है आप का ब्रोकर आप से ज्यादा चार्ज ले रहा है तो आप उस के पास अपना अकाउंट बंद कर नया अकाउंट खुलवा सकते है या आप का ट्रांसफर कहीं हो गया है जहां आप का ब्रोकर आप को अपनी सुविधा नहीं दे पा रहा तब भी आप ऐसा कर सकते है, यह आप पर निर्भर है आप ऐसा क्यों करना चाहते हैं।

क्या आप एक डीमैट अकाउंट किसी और के नाम कर सकते है ?

नहीं, आप एक डीमैट अकाउंट किसी और के नाम नहीं कर सकते है पर आप उसमें के शेयर किसी और व्यक्ति को दे सकते है या उस के अकाउंट में ट्रान्सफर कर सकते है पर इस के लिए उस व्यक्ति का डीमैट अकाउंट होना जरुरी है|

क्या आप का जॉइंट डीमैट अकाउंट खोला जा सकता है ?

जी हां,

शेयर कितने प्रकार के होते है ?

कॉमन शेयर – इन्हें कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है|

राइट्स इशू या शेयर -यह उन लोगो के लिए होता है जिन के पास उस कंपनी के शेयर पहले से है, मान लें किसी कंपनी के शेयर का भाव इस वक़्त 20 रूपये है पर जिन लोगो के पास कंपनी के शेयर पहले से है वो लोग अपने हर एक शेयर के बदले एक शेयर ख़रीद सकते हैं वह भी 18 रुपये में तो इन शेयर को राइट्स इशू या शेयर कहेंगे|

बोनोस शेयर- मान लें किसी कंपनी ने इस साल अच्छा मुनाफा कमाया तो वह उस मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयर धारको में बाँटन चाहती है, पर वह उन्हें उस के बदले पैसा नहीं देना चाहती तो वह उतने पैसे के कुछ और शेयर उस आदमी को दे देगी| कई बार कंपनी यह शेयर धारको पर छोड़ देती है या तो वह पैसा ले ले या शेयर।

अगर आप ने पैसा लिया है तो उस बोनोस या डिविडेंड कहा जायेगा|


प्रिफर्ड शेयर- यह वह शेयर होता है जो कंपनी कुछ खास लोगो के लिए लाती है ,मान ले कोई कंपनी को पैसे की जरुरत है और वह मार्किट से कुछ पैसा जुटाना चाहती है तो वह जो शेयर जारी करेगी वह उन्हें खरीदने का पहला अधिकार कुछ खास लोगो को देंगे ,यह मान लें कि यहां  वह लोग उस कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी है ,तो केवल उस कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ही इन शेयर को खरीद सकते है, यह बहुत ज्यादा सुरक्षित शेयर होते है अगर कंपनी डूब भी जाये तब भी उन्हें इन शेयर धारको को उनका पैसा लौटना पड़ेगा ,चाहे इस के लिए कंपनी को अपनी ज़मीन ,मशीन ,बिल्डिंग ही क्यों न बेचनी पड़े ,पर दूसरे शेयर में ऐसा नहीं होता|

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