क्या है म्यूच्यूअल फण्ड
म्यूचल फंड ( Mutual Fund) क्या है
जैसा
कि आपको पता है कि शेयर बाजार मे निवेश करने के लिए आपको काफी समय,
जानकारी और कुछ हद तक (अच्छी खासी) पूँजी की आवश्यकता होती है। अब बड़े
निवेशक तो शेयर मार्केट के होने वाले उतार-चढावों पर नजर रखने के लिए समय
निकालते है, लेकिन कई ऐसे छोटे निवेशक भी होते है जिनके पास समय और पूँजी
की कमी होती है।
उदाहरण के
लिए मान लीजिए आप और आपके पाँच मित्रों के पास 50,000 रुपए (प्रति
व्यक्ति) है जिनको आप शेयर बाजार मे लगाना चाहते है, लेकिन आपको शेयर बाजार
के झंझटों के बारे मे कोई जानकारी नही है और ना ही इतना समय है कि आप अपने
व्यापार/नौकरी से समय निकालकर इस निवेश पर नजर रख सकें। तो आपके पास
विकल्प क्या है: आप किसी पहचान वाले बन्दे को पकड़े जो शेयर बाजार मे निवेश
करता हो।
किसी संस्था को पैसा दे दो, जो आपकी तरफ़ से शेयर बाजार मे निवेश करे।
आप
सभी अपना अपना पैसा मिलाकर एक साथ, एक जगह निवेश करें और किसी भी एक
व्यक्ति जो इस बारे मे जानकारी रखता हो, उस पर निवेश की देखरेख करने के
जिम्मेदारी लगा दें।
एक अन्य उदहारण-अब
मान लीजिए आप लोग पाँच नही, बल्कि पूरे 5000 लोग है, तो ऐसे में आपके पास
विकल्प म्यूचल फंड का ही है। इसमे आप अपना निवेश म्यूचल फंड मैनेजमेन्ट
कम्पनी (Asset Management Company) को दे देते है। आपके पैसे की देखभाल
पेशेवर फंड मैनेजर करते है जो शेयर बाजार की बारीकियों को अच्छी तरह से
समझते है। बदले में ये म्यूचल फंड कंपनियां आपसे कुछ हिस्सा अपने खर्चों
सरकार अपनी नीतियों द्वारा इन म्यूचल फंड कम्पनियों पर निगरानी रखती है।
इस
पूरी प्रक्रिया में म्यूचल फंड कम्पनियां अनेक प्रकार की स्कीम लाती है,
हर स्कीम में लगाएं जाने वाली पूँजी को छोटे-छोटे, बराबर के हिस्सों मे
(शेयरों की तरह) बाँट दिया जाता है। निवेशक अपने-अपने हिस्से के हकदार होते
हैं जिन्हें यूनिट (Unit) कहा जाता है। इस तरह छोटे निवेशक भी शेयर बाजार
मे अप्रत्यक्ष रुप से हिस्सा ले सकते हैं।
आइए जानें म्यूचल फंड के फायदे और शेयरों से इसकी भिन्नता के बारे में
म्यूचल
फंड के कई फायदे है, पहले तो इसमें आपको कम पूँजी, कम समय और काफी कम
तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इसमे जोखिम भी (अपेक्षाकृत
शेयर बाजार के) कम रहता है। म्यूचल फंड के फायदों को संक्षेप मे इस तरह से
बताया जा सकता है:
- म्यूचल फंड महंगे शेयरों मे निवेश करने का सस्ता तरीका है।
- म्यूचल फंड मे जोखिम कम होता है क्योंकि आपका पैसा किसी एक शेयर मे ना लगाकर, कई शेयरों मे एक साथ लगाया जाता है।
म्यूचल फंड के चालक
म्यूचल
फंड पेशेवर फंड व्यस्थापकों (Fund Managers) द्वारा चलाए जाते है, जिनको
शेयर बाजार की काफी अच्छी जानकारी होती है। इनको किसी भी शेयर मे प्रवेश
करने और बाहर निकलने के अवसरों का बेहतर ज्ञान रहता है।
म्यूचल
फंड हाउस (AMCs) के पास अपनी रिसर्च टीम होती है, इनके पास शेयरों के
सम्बंध मे तकनीकी जानकारी और विश्लेषण मौजूद रहता है। कुल मिलाकर इनकी
रिसर्च टीम किसी भी निवेशक के मुकाबले शेयर बाजार की अधिक जानकारी रखती है।
आइए जाने म्यूचल फंड के लाभ क्या हैं:-
- छोटे निवेशक का समय और श्रम बचता है
- म्यूचल फंड की गतिविधियों पर सेबी की कड़ी नजर रहती है, इस तरह से छोटे निवेशकों के हितों को अनदेखा नही किया जाता।
- म्यूचल फंड मे आप निश्चित अवधि मे आटोमेटिक तरीके से (SIP) से निवेश अथवा निकासी (SWP) कर सकते है।
- चूँकि म्यूचल फंड बड़े स्तर पर खरीदारी करते है इसलिए उनको ब्रोकरेज और अन्य खर्चों पर भी बचत होती है।
- म्यूचल फंड के निवेश मे काफी ज्यादा पारदर्शिता होती है।
- निवेशक को किसी भी प्रकार का निवेश खाता (Demat Account) नही खोलना पड़ता।
- निवेशक सही समय पर किसी भी एक स्कीम से दूसरी स्कीम मे जा सकता है।
म्यूचल फंड के नुकसान
दुनिया मे कोई ऐसी चीज नही जिसके फायदे हों और उसके नुकसान ना हो। म्यूचल फंड मे भी कुछ नुकसान हो सकते है, उदाहरण के लिए:
- म्यूचल फंड हाउस के खर्चों पर निवेशक का नियंत्रण नही रहता।
- निवेशक को अपनी पसन्द के शेयर खरीदने(Customized Portfolio) का आप्शन नही रहता।
- निवेशको को म्यूचल फंड की किसी स्कीम को ही चुनना होता है।
- म्यूचल फंड की सही स्कीम का चुनाव करना भी एक टेढी खीर है।
- म्यूचल फंड किस तरह से बाजार मे पैसा लगाते है।
म्यूचल
फंड, अपने निवेशको द्वारा प्रदान किए गए पैसों को एक जगह एकत्रित करते हैं
और उस फंड से शेयर बाजार मे खरीद फरोख्त करते हैं। चूँकि फंड हाउस काफी
बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त करते हैं इसलिए इनको बाजार के उतार चढावों का
अच्छा ज्ञान होता है। सही समय पर शेयरों मे खरीद बिक्री की जाती है और आने
वाले नफ़े-नुकसान को उसी एकत्रित फंड मे रखा जाता है। म्यूचल फंड कम्पनियां
अपने खर्चो को इसी फंड से निकालती है।
म्यूचल
फंड के निवेश को सार्वजनिक किया जाता है और प्रतिदिन फंड को अपनी नैट एसैट
वैल्यू (NAV) अर्थात हर यूनिट का खरीद और बिक्री मूल्य प्रकाशित करना होता
है। इसी मूल्य पर निवेशक, म्यूचल फंड मे अपना निवेश और निकासी कर सकते है।
नैट एसैट वैल्यू से किसी भी फंड के स्वास्थ्य की जाँच की जा सकती है।
निवेशक को यह अधिकार है कि वह किसी भी समय अपना पैसा लेकर फंड से बाहर निकल
सकता है।
सेबी और म्यूचल फंड हाउस
सेबी
सभी फंडो पर नज़र रखता है और समय समय पर नए दिशा निर्देश भी जारी करता है।
सेबी ने फंड हाउस के लिए निम्नलिखित नियमावाली जारी की है।
सभी म्यूचल फंड हाउस की स्थापना भारतीय ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत होगी और इन फंड कम्पनियों को पेशेवर लोगों द्वारा चलाया जाएगा।
क्या है म्यूचल फंड हाउस
- इन फंड हाउस का निर्दॆशकों का एक बोर्ड होगा।
- प्रत्येक फंड हाउस की न्यूनतम पूँजी 5 करोड़ (Five Crores) होनी चाहिए।
- फंड हाउस के ट्रस्टी और चलाने वाले अलग अलग व्यक्ति (संस्था) होने चाहिए।
- प्रत्येक फंड हाउस को सेबी से अनुमति लेना आवश्यक है।
- फंड हाउस को अपनी हर योजना को सेबी के पास पंजीकृत कराना अनिवार्य है।
- फंड हाउस अपने लाभ का कम से कम 90% अपने निवेशकों मे बाँटना आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त समय समय पर सेबी द्वारा प्रदान की जाने वाले दिशा निर्देशों का पालन अनिवार्य है।
म्यूचल फंड योजनायें और प्रकार
म्यूचल फंड की योजनाए मुख्यत: दो प्रकार की होती है।
असीमित अवधि वाले फंड (Open Ended Funds)
इस
प्रकार के फंड सभी के लिए खुले हुए होते है। निवेशक जब चाहे फंड मे निवेश
अथवा विनिवेश(निकासी) कर सकते हैं। म्यूचल फंड निवेश के लिए प्रवेश शुल्क
(Entry Load) लेती है और कभी कभी विनिवेश के लिए निकासी शुल्क(Exit Load)
लेती है।
सीमित अवधि वाले फंड (Closed Ended Funds)
इस
प्रकार के फंड मे निवेश की सीमा की अवधि तक निवेशक को इस फंड मे बने रहना
होता है। निश्चित अवधि के उपरान्त ही निवेशक अपना पैसा इस फंड से निकाल
सकता है।
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