चीन ने युआन के मूल्य में की गिरावट !!!
चीन ने
अपने एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए करेंसी युआन का डीवैल्यूएशन कर दिया
है। डीवैल्यूएशन अर्थात मुद्रा के मूल्य में की गयी गिरावट| चीन के
सेंट्रल बैंक ने नए रिफॉर्म लागू करने के लिए युआन को 2 फीसदी डीवैल्यू
किया गया है। डीवैल्यूएशन के बाद डॉलर के मुकाबले युआन 3 साल के निचले स्तर
पर आ गया है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अब एक डॉलर की कीमत 6.22298 युआन
तय की है।
चीन के सैंट्रल ने ऐसा क्यों किया
पीपुल्स
बैंक ऑफ चाइना के मुताबिक युआन के मूल्य में 1.9 फीसदी की कमी करने का
मकसद, विनिमय दर को और अधिक बाजार के मुताबिक बनाना है। पीपुल्स
बैंक ऑफ चाइना एक आधिकारिक मिडप्वाइंट के जरिए इस दर को नियंत्रित करता है
जिससे किसी भी निश्चित दिन में कारोबार दो फीसदी बढ़ या गिर सकता है।
ऐसा करने का कारण
दुनिया
की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के एक्सपोर्ट में लगातार गिरावट
देखने को मिल रही है। जुलाई में उसके निर्यात में 8.3 फ़ीसदी की गिरावट आई
है। हाल के महीनों में डॉलर के मुकाबले युआन मजबूत हुआ है जिससे चीनी
निर्यात महंगा हो गया और चीनी उद्योगों में लोगों की नौकरियां जाने का खतरा
पैदा होने लगा था। अमेरिका और अन्य देशों की सरकारों को शिकायत रही है कि चीन सरकार ने युआन के मूल्य को जानबूझ कर कम रखती है ताकि उसे निर्यात में फ़ायदा हो,
लेकिन इससे विदेशी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को घाटा उठाना पड़ता है। अमरीका
समेत पश्चिम देशों की मांग रही है कि चीन युआन की विनिमय दर बाजार से तय
होने दे।
भारत और भारतीय मुद्रा पर असर
डॉलर
के मुकाबले भारतीय रुपया 29 पैसे की जोरदार कमजोरी के साथ 64.16 के स्तर
पर खुला। दरअसल, चीन के सेंट्रल बैंक की करेंसी युआन को 2 फीसदी डीवैल्यू
करने का असर रुपए पर दिखा| फॉरेक्स एक्सपर्ट का कहना है कि चीन ने करेंसी
को डीवैल्यू किया है उसकी वजह से सभी एशियाई करेंसी नीचे आ रही हैं। इसी के
चलते रुपये में भी गिरावट देखी जा रही है। इसका
असर और 3-4 दिनों तक देखा जाएगा और रुपये में कमजोरी और बढ़ सकती है।
रुपये में कमजोरी बढ़ने के बाद 64.30 रुपये तक के स्तर देखे जो सकते हैं।
चीन
की करेंसी को डीवैल्यू करने के कारण घरेलू बाजार में सोना मामूली बढ़त के
साथ कारोबार कर रहा है, लेकिन चांदी में मामूली गिरावट आई है। हालांकि
क्रूड की कीमतों में उछाल आया है।
रिपोर्टर्स के अनुसार चीन की इकनॉमी धीमी पड़ रही है। इसलिए उसने यह कदम उठाया है। उसका मानना है कि युआन की वैल्यू कम होने से चीन से एक्सपोर्ट बढ़ेगा, जिससे आखिरकार इकनॉमी की रफ्तार बढ़ेगी।
एक्सपर्ट्स
के अनुसार कि युआन का डीवैल्यूएशन होने से भारत की स्टील और मेटल कंपनियों
को नुकसान हो सकता है। इससे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल,
हिंडाल्को और वेदांता जैसी प्रमुख कंपनियों पर इम्पैक्ट होगा। चीन के इस
कदम से हाल ही में भारत द्वारा मेटल और स्टील इंपोर्ट पर ड्यूटी बढ़ाने का
खास फायदा भी घरेलू इंडस्ट्री को नहीं होगा। साथ ही घरेलू रुपए पर भी इसका
नकारात्मक असर हो सकता है।
बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ी
सरकार
ने आयरन, स्टील, कॉपर, निकेल और एल्युमीनियम जैसे बेस मेटल्स पर कस्टम
ड्यूटी बढ़ा दी है। यह कदम इसलिए उठाया गया है कि ताकि डोमेस्टिक इंडस्ट्री
को सस्ते आयात से सुरक्षा दी जा सके। फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कुछ
खास गुड्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी में 2.5 पर्सेंट बढ़ोतरी की इजाजत मांगी
है। इनमें आयरन और स्टील, कॉपर, निकेल एल्युमीनियन, लेड, जिंक, टंगस्टन आदि
शामिल हैं।
एक्सपर्ट्स की राय
फॉर्च्यून
फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर के मुताबिक चीन के युआन को डीवैल्यू करने
से घरेलू मेटल पर असर होगा। इससे मेटल प्रोडेक्ट और भी सस्ते इंपोर्ट
होंगे। इसके अलावा एक चिंता ये है कि चीन से स्टील के वैल्यू एडेड
प्रोडेक्ट भी सस्ते दामों पर इंपोर्ट होने लगे हैं जिसका खामियाजा घरेलू
स्टेनलैस स्टील कंपनियों को भुगतना पड़ेगा। इससे बचने के लिए भारतीय सरकार
को तुरंत स्टेनलैस स्टील के इंपोर्ट पर ड्यूटी बढ़ाकर 15 फीसदी कर देनी
चाहिए जिससे घरेलू कंपनियों को कुछ राहत मिल सके।
फॉरेक्स
एक्सपर्ट पार्थो भट्टाचार्य ने कहा कि चीन के कदम अलावा आरबीआई ने हेजिंग
कॉस्ट बहुत ऊंची रखी है जिससे रुपये पर दबाव बन रहा है। रुपये के लिए 65.20
और 65.70 पर अगले अहम रेसिस्टेंस स्तर साबित हो सकते हैं।
ऑटोमोटिव
टायर्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार टायर इंडस्ट्री पहले से ही
बढ़ते इंपोर्ट से परेशान है। युआन के डिवैल्युएशन से टायर का इंपोर्ट और
बढ़ जाएगा, जिससे घरेलू टायर इंडस्ट्री की परेशानी और बढ़ जाएगी। युआन के
डिवैल्यूएशन से भारतीय उत्पादकों की टायरों की कीमतों और चीन में बने
टायरों की कीमतों में पहले ही मौजूद अंतर और बढ़ जाएगा। सरकार को घरेलू
टायर इंडस्ट्री को बचाने के लिए चीन से होने वाले टायर इंपोर्ट पर कम से कम
30 फीसदी एंटी डंपिंग ड्यूटी लगानी चाहिए।
चीफ
इकनॉमिक एडवाइजर ने कहा कि युआन को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के रिजर्व
करेंसी स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (एसडीआर) में शामिल किया जा रहा है। इस वजह
से भी शायद चाइनीज करेंसी की वैल्यू कम की गई है। उन्होंने कहा, 'चीन के
सेंट्रल बैंक ने इस कदम के जरिये एसडीआर बास्केट के लिए युआन को संभावित
कैंडिडेट बनाया है।' एसडीआर इंटरनेशनल रिजर्व एसेट है, जिसे इंटरनेशनल
मॉनेटरी फंड ने 1969 में बनाया था। सदस्य देशों के ऑफिशियल रिजर्व को
सप्लीमेंट करने के लिए एसडीआर को बनाया गया था।
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