Wednesday, 23 December 2015

नेट न्यूट्रेलिटी


नेट न्यूट्रेलिटी शब्द पिछले कुछ दिनों से बहुत अधिक चर्चा में है| यह अनुच्छेद  इस शब्द के संबंध में हमारी समझ को बढ़ाएगा| 2015 में इस समय तक, भारत में नेट न्यूट्रेलिटी के कोई नियामक संस्था नहीं है| जो इन्टरनेट के उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रयोक्ता, सामग्री और साईट के आधार पर प्रतिभार देने से बचाए|

भारत में कुछ सेवा प्रदात्ताओं द्वारा नेट न्यूट्रेलिटी का उल्लंघन किया जा चुका है|

नेट न्यूट्रेलिटी क्या है
नेट न्यूट्रेलिटी (अथवा नेट समानता) वें सिद्धांत है जिसके अनुसार इन्टरनेट प्रदात्ता और सरकार को इन्टरनेट पर उपलब्ध सभी डाटा को समान रूप में देखना चाहिए| और उन पर प्रयोक्ता, सामग्री, साईट, पटल, एप्लीकेशन, संलग्न उपकरण अथवा संचार के साधन के आधार पर भिन्न प्रभार नहीं  लगाने चाहिएनेट न्यूट्रेलिटी शब्द को रूप  कोलम्बिया विश्वविद्यालय के मीडिया कानून (लॉ ) प्रोफेसर ‘टिम वु’ ने 2003 में दिया| अधिकतम प्रयोक्ताओं के साथ भारत इस सिधांत को  अपनाने वाला नया देश है|

नेट न्यूट्रेलिटी का सिद्धांत फोन कनेक्शन से आया है| जहाँ हम किसी भी नंबर को बिना किसी अतिरक्त प्रभार के डायल कर सकते हैं| सभी नम्बर और उन पर प्रभार समान रहता है यह प्रदाता की इच्छानुसार नहीं होता है|
भारत में नेट न्यूट्रेलिटी पर  पहली बार बहस तब शुरू हुई जब एयरटेल, भारत में एक मोबाईल टेलीफोनिक सेवा प्रदात्ता ने दिसम्बर 2014 में इसके नेटवर्क का प्रयोग करने वाली एप्स जैसे व्हाट्सऐप और स्काइप आदि  द्वारा वाइस कॉल  (VoIP) पर अतिरिक्त प्रभार की घोषणा की|

मार्च 2015 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने जनता की राय मांगने के लिए, शीर्ष की सेवाओं के लिए नियामक ढांचे पर एक औपचारिक परामर्श पत्र जारी किया हैपरामर्श पत्र को एक तरफा और भ्रामक कथनों के कारण आलोचना का समना करना पड़ रहा है। विभिन्न नेताओं और भारतीय नेट के प्रयोक्ताओं ने इसकी निंदा की है| 13 अप्रैल 2015 तक भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण को  नेट न्यूट्रेलिटी की मांग करने वाली 300,000 मेल मिल चुकी हैं|

नेट न्यूट्रेलिटी  इन्टरनेट को क्या रूप देगा?
नेट न्यूट्रेलिटी  इन्टरनेट को मुख्यत: दो मूल रूपों में विभक्त करेगा|

पहला, वेब प्रयोक्ता किसी भी वेबसाईट या सेवा से इच्छानुसार जुड़ सकता है | इन्टरनेट सेवा प्रदात्ता को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए की प्रयोक्ता किस प्रकार की सामग्री का उपभोग कर रहा है| यह इन्टरनेट को वास्तव में एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में विकसित होने देगा, जो लोगों को खुलकर अभिव्यक्ति  का माध्यम देगा|

किन्तु इससे भी महत्त्त्पूर्ण है, नेट न्यूट्रेलिटी इंटरनेट के  स्तर  में वृद्धि करेगा| एक वेबसाइट शुरू करने के लिये आपको अधिक पैसे या संपर्क की आवश्यकता नहीं होगी| बस अपनी वेबसाइट बनाये और आप मैदान में खेल के लिए तैयार हैं| अगर आपकी सेवाएँ बेहतर हैं| इसे वेब प्रयोक्ताओं का रुझान प्राप्त होगा

यह प्रक्रिया गूगल, फेसबुक ट्विटर और ऐसी अनेक सेवाओं के सर्जन का मौका देगी| इन वेबसाइटो ने एक सामान्य वेबसाइट की भांति शुरुआत की थी और नेटन्यूट्रेलिटी के कारण  प्रयोक्ताओं के बढ़ते रुझान ने इन्हें बढ़ने का अक्सर दिया|

नेट न्यूट्रेलिटी का आभाव ?
नेट न्यूट्रेलिटी का आभाव इन्टरनेट सेवा प्रदात्ता इन्टरनेट ट्रैफिक को आक्रार प्रदान करने की  क्षमता देता है, जिससे वे अतिरिक्त लाभ अर्जित कर सकें| उदाहरणस्वरुप: इन्टरनेट सेवा प्रदात्ता चाहते हैं की उन्हें यूट्यूब से प्रभार लेने की अनुमति हो क्योंकि इस वेबसाइट के पास सामान्य वेबसाइट की तुलना में अधिक बैंडविथ है| मूल रूप से यह कम्पनी के मुनाफे में हिस्सेदारी चाहते हैं|

बिना नेट न्यूट्रेलिटी के आज हम जिस इन्टरनेट को समझते हैं वह पूरी तरह से बदल जायेगाउपभोक्ताओं के लिए 'पैकेज' होंगे  जैसे मान लें 500 रु पैकेज पर आप मात्र भारतीय वेबसाइट देख सकेंगे| अन्तराष्ट्रीय वेबसाईट देखने के लिए आपको और भुगतान करना होगा|


नेट न्यूट्रेलिटी का आभाव वेब से नवीनता को नष्ट कर देगा| सम्भव है की इन्टरनेट प्रदात्ता वेबसाइट खोलने की प्रक्रिया को धीमा कर दें और तेज एक्सेस के लिए कम्पनी से प्रभार लें| अर्थात गूगल प्लस और यूट्यूब जैसी कम्पनियां तेज एक्सेस के लिए भुगतान कर पायें किन्तु नयी कम्पनी जो शायद बेहतर और भिन्न साईट प्रदान करती हो, ऐसा न कर पाए|

फ्री इन्टरनेट चलाने के स्थान पर, नेट न्यूट्रेलिटी का आभाव इन्टरनेट को खण्डों में विभक्त कर देगा, जहाँ प्रत्येक खंड में प्रवेश करने के लिए आपको इन्टरनेट सेवा प्रदात्ता को प्रभार देना होगा|

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