संविधान सभा का निर्माण संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य
कैबिनेट मिशन की सिफारिश पर संविधान सभा का गठन किया गया जिसने वर्ष 1946 मे भारत का दौरा किया था। श्री सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हाल में हुई। आइये जानते है संविधान सभा का निर्माण सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य एक पंक्ति स्वरूप में–
● कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान की निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 में किया गया।
● बी. एन. राव द्वारा किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया. प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार है:
● कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान की निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 में किया गया।
● संविधान सभा का चुनाव परोक्ष निर्वाचन पद्धति से किया गया था। प्रत्येक प्रांत के निचले सदन के सदस्यों अर्थात् विधान सभा द्वारा इनको निर्वाचित किया गया था।
● प्रत्येक प्रांत एवं देशी रियासतों अथवा रियासतों के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुसार (10 लाख की आबादी पर एक सीट) संविधान सभा में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया था।
● संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे। मुस्लिम लीग द्वारा संविधान सभा से अपने प्रतिनिधियों को बुला लेने के बाद सदस्य
संख्या 299 ही रह गई थी।
● जुलाई, 1946 ई. में संविधान सभा के 296 स्थानों के लिए चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 एवं 15 स्थान अन्य दलों को प्राप्त हुए।
● प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था, ये समुदाय थे: मुस्लिम, सिख एवं साधारण।
● संविधान सभा में ब्रिटिश प्रातों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया- 213 सामन्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख।
● संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 ई. को सच्चिदानन्द सिन्हा जो अस्थायी अध्यक्ष थे कि अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ। 11 दिसंबर, 1946 को डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
● भीमराव अंबेडकर बंगाल से निर्वाचित होकर संविधान सभा मेंं आये थे।
● हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थे।
● बी. एन. राव द्वारा किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया. प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार है:
i. डॉ. भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)
ii. एन. गोपाल स्वामी आयंगर
iii. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
iv. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
v. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
vi. एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर)
vii. डी. पी. खेतान (1948 ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्माचारी को सदस्य बनाया गया). संविधान सभा में अम्बेडकर का निर्वाचन पश्चिम बंगाल से हुआ था।
● संविधान निर्माण का कार्य 13 दिसंबर, 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ को पेश करने से प्रारंभ हुआ। इस प्रस्ताव को विचार-विमर्श के उपरांत 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा द्वारा पारित कर दिया गया।
● 17 मार्च, 1947 को संविधान सभा ने संविधान की प्रमुख विशेषताओं के संबंध में एक प्रश्न सूची विभिन्न प्रांतीय विधानमंडलों तथा केन्द्रीय विधानमंडल के सदस्यों के पास उनके विचार के लिए भेजी। इन सदस्यों के विचारों को शामिल करके अक्टूबर, 1947 में संविधान का प्रथम प्रारूप तैयार किया गया।
● संविधान का प्रथम प्रारूप संवैधानिक परामर्शदाता श्री बी.एन राव के निर्देशन में संविधान सभा के कार्यालय द्वारा तैयार किया गया था। इसके अंतर्गत 315 अनुच्छेद, जो आठ भागों बंटें हुए थे, कि सिफारिश की गई थी। इस संविधान में 60 देशों के संविधान की प्रमुख विशेषताओं को शामिल किया गया था।
● संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे. इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए।
● संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई।
● संविधान के प्रारूप को फरवरी, 1948 में संविधान सभा को सौंपा गया। इस पर 15 नवंबर, 1949 से विचार-विमर्श प्रारंभ हुआ। व्यापक बहसों, सुझावों एवं संशोधनों के उपरांत 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान पारित कर दिया।
● संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई० को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
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